छत्रपति शिवाजी नकारात्मकता में भी सकारात्मकता देख लेते थे और अपने विरोधी से हमेशा एक कदम आगे रहते थे - श्री ओक

त्रिमूर्ति न्यूज दीपक यादव
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छत्रपति शिवाजी नकारात्मकता में भी सकारात्मकता देख लेते थे और अपने विरोधी से हमेशा एक कदम आगे रहते थे - श्री ओक 

टिमरनी।

 व्याख्यान माला समिति द्वारा भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यान माला कार्यक्रम का आयोजन सरस्वती शिशु मंदिर प्रांगण में किया गया। व्याख्यान माला के द्वितीय दिवस कार्यक्रम की अध्यक्षता ओमप्रकाश मुकाती  ने की एवं मुख्य वक्ता के रूप में अनिल ओक अ.भा.सह व्यवस्था प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मौजूद रहे। कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया । "छत्रपति शिवाजी नकारात्मकता में भी सकारात्मकता देख लेते थे और अपने विरोधी से हमेशा एक कदम आगे रहते थे। यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अ.भा. सह व्यवस्था प्रमुख अनिल ओक ने कही है। वे टिमरनी  में आयोजित श्रद्धेय भाऊ साहब भुस्कुटे स्मृति व्याख्यान माला के 32वे वार्षिक आयोजन में 'शिवाजी और सुराज विषय पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।श्री ओक ने कहा कि शिवाजी के प्रशासकीय कौशल  पर उंगली नहीं उठाई जा सकती। शिवाजी ने साढ़े सात वर्ष युद्ध लड़ने में बिताए जबकि २८ वर्ष उन्होंने प्रशासनिक व्यवस्था में लगाऐ। शिवाजी के उस कठिन  काल में भी हिन्दवी स्वराज की स्थापना की घोषणा की थी। यह वर्ष छत्रपति शिवाजी के राज्याभिषेक का 350 वाँ वर्ष है। इस अवसर पर श्री ओक ने शिवाजी पर एक जोशीली कविता भी सुनाई।उन्होंने आगे कहा कि शिवाजी ने अनेक कल्याणकारी योजनाएं चलाई । उन्होंने पहली बार अनुकंपा नियुक्ति और पेंशन की व्यवस्था चालू की थी । शिवाजी ऐसे पहले राजा थे जिहोंने राजकोष बढ़ाने के लिए देश से लगान की बजाय व्यवसाय करना शुरु किया। उन्होंने पहली नो सेना  गठित की थी। उन्होंने इतिहास लेखन भी प्रारंभ किया। काशी के पंडित  गागा भट्ट के द्वारा उन्होंने शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच हुए शास्त्रार्थ  को लिपि बद्ध कराया । शिवाजी ने किले जीतने के साथ ही किले खरीदे भी थे। श्री ओक  ने कहा कि शिवाजी के सुराज में यदि रिश्तेदार भी गलती करे तो उन्हें दंड दिया जाता था। शिवाजी ने अपने मामा को ऐसे ही  अपराध के कारण गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया था। शिवाजी के राज में राष्ट्र‌ द्रोह की सजा सिर्फ मौत होती थी। गलती करने वाला दंड का अधिकारी  होता था। हमने शिवाजी और उनकी नीतियों को भुला  दिया इसलिए हम गुलाम बने। शिवाजी ने न जीते जा सकने वाले मजबूत जमीर बाले लोग तैयार किए थे। शासन करना है तो शिवाजी का चलन सीखना होगा।कार्यक्रम का संचालन एवं आभार  विक्रम भुस्कुटे ने माना, विद्यालय की बहनों द्वारा वंदे मातरम प्रस्तुत किया गया।

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